Shimla News युग को इंसाफ क्यों नहीं मिला शिमला युग हत्या मामला क्या है

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Shimla News मासूम युग को ये कैसा इंसाफ दिया, जज साहब ? एक नहीं बल्कि कई फैसलों पर सवाल!

हिमाचल की अदालत का फैसला आपको हैरान कर देगा युग हत्याकांड जिसमें आरोपी ने एक छोटे बच्चों के साथ बहुत घिनौनी हरकत की थी और उसे मार दिया था आज उन्हीं आरोपों को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट शिमला ने फांसी के बजे उम्र कैद में बदल दिया

उसमें से एक को बरी कर दिया है और दो को उम्र कैद की सजा उम्र कैद में बदल दिया है और इस फैसले के आने के बाद युग के पिता बोले कि मुझे न्याय नहीं मिला मैं सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा अब इस फैसले के आने के बाद आम जनता कहीं ना कहीं

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट पर संदेह कर रही है कि कल को अगर उनके साथ अगर कुछ ऐसा हुआ तो क्या उनको हिमाचल प्रदेश की हाईकोर्ट में जाकर न्याय मिलेगा या नहीं और यह सब सवाल हिमाचल प्रदेश की जनता के मन में उठना लाजमी भी है

आपको बता दें कि युग 4 साल के थे तो उन्हें तीन लोगों ने अगवा कर लिया था और 7 दिन तक अगवा करके अपने पास रखा और फिर शराब पिलाई और फिर उसे पत्थर के साथ बांधकर पानी में फेंक दिया था यह घटना अगर कोई भी आम नागरिक सुनेगा और

उसके बाद शिमला हाई कोर्ट का फैसला अगर सुनेगा तो कहीं ना कहीं उसको भी अदालतों के ऊपर अब संदेह होगा कि आखिर अदालतें क्यों ऐसे लोगों को फांसी की सजा नहीं दे पाई आखिर क्या कारण था अदालतों का की उन्होंने फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया आपको बता दे

कि हिमाचल प्रदेश की अदालत ने पहली बार ही नहीं है जब उन्होंने ऐसा फैसला दिया हो कुछ समय पहले ऐसा ही एक मामला चंबा में नजर आया था जहां एक अनजान व्यक्ति ने एक महिला के घर में घुसकर उसके साथ जबरदस्ती की थी और उसके गले पर दांत से काट लिया था और

वह महिला अपने बच्चों के साथ थी और और रात के समय आरोपी ने इस वारदात को अंजाम दिया और अदालत ने उस आरोपी को जमानत दे दी थी और यह कहा था कि यह घातक हथियार वाली धाराओं में नहीं आता है सोचिए उस महिला पर क्या बीती होगी

और क्या उसे हमारी न्यायपालिका या न्याय तंत्र पर विश्वास रहा होगा अगर आज युग के कातिल को फांसी की सजा नहीं हो पाई तो अदालतों में जो न्याय मिलता है अगर वह सही से नहीं मिला तो जो भी गुनाह करने वाले लोग होते हैं उनके अंतर डर खत्म हो जाएगा और यह कहीं ना कहीं समाज में हम सबके लिए खतरा बनेगा

क्योंकि आरोपी तो यही सोच के गुनाह करने की हिम्मत करेगा कि ज्यादा से ज्यादा क्या ही होगा उम्र कैद होगी उसके बाद हम बाहर आ जाएंगे हम सभी के लिए यह जरूरी है कि हमारी अदालतें आरोपी के अधिकारों की ही नहीं बल्कि पीड़ित और समाज के अधिकार के बारे में सोचकर न्याय करें
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