मोबाइल फोन आज के समय की सबसे बड़ी बीमारी और आज के समय का सबसे बड़ा साधन भी लेकिन अगर इसकी लत लग जाए तो इस लत को छुड़ा पाना कुछ कुछ नशे की लत जैसा ही बन जाता है
कि लोग ना चाहते हुए भी फोन को बार-बार बिना वजह हाथ में उठा लेते हैं और जिस काम के लिए फोन को हाथ में लिया होगा वह काम करेंगे ही नहीं और इंस्टा फेसबुक व्हाट्सएप और यूट्यूब घूम के फिर वापस फोन को बंद कर देंगे
और बाद में याद आएगा कि फोन किस काम के लिए हाथ में लिया था तो इसी फोन की लत को छुड़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने एक बहुत अच्छा और सराहनीय निर्णय लिया है के हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में अब मोबाइल फोन का उपयोग बच्चों को पढ़ाते हुए क्लास में नहीं कर सकते हैं
अगर कोई अध्यापक बच्चों को पढ़ाने जाता है या एक बार स्कूल पहुंच जाता है तो उनको अपना मोबाइल फोन स्टाफ रूम में जमा करवाना होगा और उसके बाद ही वह बच्चे को पढ़ पाएंगे हमने भी कई बार देखा है
कि कुछ अध्यापक जो की शिक्षा विभाग में है वह फोन में जरूरत से ज्यादा उपयोग करते पाए गए हैं ऐसे में हिमाचल प्रदेश का शिक्षा विभाग का निर्णय बहुत ही सराहनीय है वहीं अगर आजकल के बच्चों की बात करें तो उनके अंदर भी इस चीज की लत जो है वह बढ़ती जा रही है तो कहीं ना कहीं यह निर्णय बहुत ही सही लिया गया है
अब आपको बता दें कि इस निर्णय का यहां पर विरोध भी हो रहा है स्कूल अध्यापकों का यहां पर कहना है कि जो मोबाइल फोन कोरोना और आपदा के समय एक साधन बन गया था ताकि बच्चों को घर से भी पढ़ाया जाए जा सके
और आज इसी मोबाइल फोन को प्रतिबंधित करने की कोशिश की जा रही है आपको बता दें कि डिप्टी डायरेक्टर को आदेश दिए गए हैं कि स्कूलों में इस आदेश का पूर्ण रूप से अनुपालन करवाया जा सके ताकि सभी शिक्षा विभाग के अध्यापक
इस निर्णय का पालन कर सके और स्कूल में एक अनुशासित वातावरण बना सके ताकि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी यह ज्ञात हो कि मोबाइल फोन हमारे लिए इतना जरूरी भी नहीं है हम मोबाइल फोन के बिना भी एक अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं

